कुछ तो ऐसा करो
तू दिखे न अगर,
टिमटिमाते सितारों की,
लौ भी बुझी !
ग़म मनाते रहे,
धरती और आसमाँ,
तेरे बिन तो हमेशा,
अमावस रही !
भूले से आ गई,
जब भी छत पे थी तू,
चाँद की चाँदनी भी,
थी बढ़ने लगी !
कुछ तो ऐसा करो,
चाँद से ये कहो,
तेरे मुख से हमेशा,
वो ले चाँदनी !
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